पत्नी की आत्मा का साया
लघु कहानी - पत्नी की आत्मा का साया।
गोमती गोयल के पति दिगंबर गोयल की जेनरल स्टोर की दुकान थी ।y विवाह से पूर्व उसकी दुकान उतनी नहीं चलती थी ।लेकिन दिगंबर का विवाह होने के बाद गोमती के आते ही दुकान में जैसे ग्राहकों की भीड़ ही लग गई।
गोमती के तीन बच्चे हुए थे ।दो बेटे और एक बेटी।दोनो बेटे स्कूल जाते थे।बेटी छोटी होने के कारण घर पर ही रहती थी।सुबह घर का सारा काम करके बच्चो को स्कूल भेजने के बादt वो अपने सास ससुर को खाना खिला कर बेटी को अपनी सास के पास छोड़कर वो भी अपने पति के पास दुकान में चली जाती थी और अपने पति का हाथ बंटाती थी।फिर शाम को चार बजे घर आ जाती थी।पति रात को आठ बजे दुकान बढ़ाकर आता था।घर आने के बाद गोमती फिर घर के कामों में लग जाती थी।उसके दोनो बेटे भी स्कूल से आ जाते थे।उनको भी खाना खिला देती थी। अपने सास ससुर को भी खाना खिलाकर फिर रात का खाना बनाने में भिड़ जाती थी। रात में बच्चो को थोड़ा पढ़ा भी देती थी और उनका होम वर्क भी करा देती थी।यह क्रम रोज का था उसका।
गोमती अपनी दुकान की आमदनी से संतुष्ट नहीं थी। वो उसमे ग्राहकों की भीड़ बढ़ाना चाहती थी।उसने कई नौकरी वाले लोगो को किफायत दर पर स्थाई मासिक ग्राहक बनाया ।उनको महीने भर का राशन और घर का जरुरी सामान उधारी देती थी । महीना पुरा होते ही उसको पूरा बकाया मिल जाता था।इसी तरह उसने कई होटलों को भी अपना ग्राहक बनाया जो अपने होटल के लिए सारा खाने पीने का सामान ले जाते थे।उनको भी वो रेट में थोड़ा छूट देती थी और उपहार भी देती थी।इतना ही नहींटाई उसने कई छोटे दुकानदारों को भी अपना ग्राहक बना लिया ।वो उन्हे भी उचित दर पर माल देती थी ताकि उनको भी बेचकर फायदा हो। इस तरह उसने अपनी दुकान को होलसेलर बना दिया।सारा सरकारी कागज बना लिया। जीएसटी देती थी । सेल टैक्स इनकम टैक्स सबका नियम पूरा करती थी। इस तरह उसकी दुकान चल निकली । उसने अपनी सहायता के लिए दो लडके और दो लड़कियां भी रख लिया। लड़किया महिला ग्राहकों और लड़के पुरुष ग्राहकों को संभालते थे।
उसका पति ज्यादातर बकाया तसिलने में लगा रहता था।दुकान वही संभालती थी।घर मे भी मदद हेतु एक दाई रख ली थी जो झाड़ू पोंछा और बर्तन धोने का काम कर देती थी।खाना वो खुद ही बनाती थी।
दिगंबर और उसके माता पिता गोमती जैसी बहु को पाकर फूले नहीं समाते थे। सास ससुर को भी वो अपने माता पिता से ज्यादा मान सम्मान देती थी और सेवा करती थी।
लेकिन अचानक गोमती ऐसा बीमार पड़ी और बिस्तर पकड़ी को फिर कभी उठ नही पाई। उसकी अचानक मृत्यु से दिगंबर के सिर पर पहाड़ टूट पडा।उसे लगा जैसे उसकी दुनिया ही लूट गई। वो काफी उदास रहने लगा।कई दिनों तक वो दुकान भी नही गया।
खाना बनाने से लेकर अपने बच्चो और मां बाप की देखभाल वो खुद करता था।अपनी पत्नी का सारा काम अब वो खुद करता था।बच्चो को स्कूल भेजकर अपने माता पिता को खाना खिलाना उनकी देखभाल कर फिर दस बजे खुद चाय नाश्ता कर दुकान जाता था ।अपने स्टाफ को दुकान की जिम्मेवारी देकर चार बजे घर आ जाता था।
एक दिन उसकी मां ने कहा बेटा इस तरह कैसे चलेगा।तुमसे अकेले घर और दुकान नही संभाला जायेगा।खाशकर बच्चो और तुम्हारी देखभाल के लिए एक बहु की जरूरत है ।तुमt कोई अच्छी सी लड़की देखकर दूसरा विवाह कर लो।
लेकिन दिगंबर दूसरा विवाह करने के लिए राजी न था।उसके दिलो दिमाग में केवल गोमती बसी हुई थी।हर पल उसकी याद आते रहती थी।बड़ी मुश्किल ने उसके पिता ने उसे बच्चो के नाम पर दूसरे विवाह के लिए तैयार कर ही लिया।
दिगंबर ने एक प्रीत्यकता और लड़की पुष्पा जिंदल से विवाह कर लिया ।लेकिन वो गोमती से ठीक उल्टा था।वो हमेशा अपने साज श्रृंगार,फोन पर सहेलियों से गपसप और टीवी देखने में लगी रहती थी।उसे न दुकान की चिंता थी न घर की ।बच्चे और सास ससुर की तो उसे बिल्कुल परवाह नही रहती थी ।बच्चो को उसकी बूढ़ी सास किसी तरह नहलाती धुलाती थी। उनको स्कूल भेजती थी। खाना भी वही खिलाती थी। सास कभी कुछ बोलती तो वो उसे डांट देती थी ।बच्चे जिदt करते किसी बात पर तो वो उन्हे बुरी तरह पिट देती थी। रोने पर और मारती थी। सास ससुर उसकी इस हरकत से बहुत दुखी रहते थे।दिगंबर को इसकी कोई भनक नहीं थी।वैसे भी पुष्पा ने उसे अपने रूप के जाल में उलझा लिया था।
एक दिन उसकी मां ने उसे पुष्पा के कारनामों के बारे में बताया लेकिन उसने कहा मां मैं दुकान देखूं या घर ।तुमने ही जिद किया था दूसरे विवाह को अब तुम ही उसे संभालो ।उसकी मां चुप रह गई।उसके माथे पर चिंता की लकीरें फेल गई थी।
उसी दिन दुकान में दिगंबर को एकआरटी ग्राहक का हिसाब नही मिल रहा था। उसने एक लड़के से पुछा कि क्या इस ग्राहक का बकाया मिल गया है लेकिन उस लड़के ने मना कर दिया।उसने ग्राहक को फोन कर पुछा तो उसने बताया मैने कल शाम को पांच बजे तुम्हारे स्टाफ को पैसे दे दिए थे।t
उसका दिमाग घूम गया । वो लडका सीढ़ी पर चढ़ाकर एक ग्राहक के लिए कुछ सामान रैक से उतार रहा था।तभी सीढ़ी फिसली वो धड़ाम से फर्श पर गिर गया।उसके सिर पर बहुत जोर से चोट लगी।उसकी शर्ट की ऊपरी जेब से दस हजार रूपए गिर गए।अचानक वो चीखने चिल्लाने लगा जैसे कोई उसे पीट रहा हो ।उसने अपना गाल सहलाना शुरू किया।जब उसने अपनी गलती मान लिया की ग्राहक का पैसा उसने ही चुराया था तब जाकर उसकी पिटाई बंद हुई ।सब लोग हैरान रह गए।वो लड़का बड़ा भयभीत हुआ।r दुबारा ऐसी गलती नही करने की कसम खाने लगा।
तभी अचानक ग्राहकों की भीड़ बढ़ गई।चारो मिलकर ग्राहकों को सामान नहीं दे पा रहे थे।दिगंबर उन पर चिल्लाने लगा जल्दी जल्दी। हाथ चलाने बोलने लगा।सबके समानो कीr लिस्ट बनाकर वो अपने स्टाफ को दे देता था लेकिन भीड़ कम नहीं हो रही थी। ग्राहकों से पैसे लेने की जिम्मेवारी दिगंबर की ही थी।
तभी एक दीपा नाम की लड़की में पता नही कहा से इतनी फुर्ती आ गई। आधे घंटे में उसने सारे ग्राहकों को सामान उनकी लिस्ट के हिसाब से तौलकर और रैक से निकाल कर दे दिया।वो कुछ बोल भी नहीं रही थी।जैसे लग रहा था उसमे बिजली की फुर्ती आ गई हो ।वो कब किधर से कौन सा सामान निकलती थी किसी को पता ही नही चलता था।दिगंबर ,स्टाफ और ग्राहक सभी आंखे फाड़ फाड़ कर उसे देख रहे थे।उसे देखने के लिए आसपास के और दुकानदार और ग्राहक जमा हो गए।
जब सबका समान उसने दे लिया अचानक बेहोश होकर गिर पड़ी।दो लड़कियों ने उसे उठाया और पानी का छींटा मारा ।वो सामान्य अवस्था में आआर गई।दिगंबर ने पूछा तुमको क्या हो गया था दीपा । तुझमें इतनी फुर्ती कहा से आ गई थी ।
मुझे कुछ नही मालूम सेठ जी । पता नही मेरे साथ ऐसा कैसे हो रहा था।
रात को बच्चे भूख से रो रहे थे।लेकिन पुष्पा ने खाना नही बनाया था।उसे ऑर्डर देकर अपने लिए पिजा और बर्गर मंगा लिया था।खुद खाकर टीवी देख रही थी।
तभी उसकी सास गुस्से से उठी और उसके कमरे में गई ।टीवी उठाकर फर्स पर पटक दिया । पुष्पा भी गुस्से से उठी और अपनी सास को धक्का देना चाही इससे पहले उसकी सास ने एक जोरदार थप्पड़ उसके गाल पर मारा वो चीख मारकर दीवाल से टकरा गई।उसके सिर से खून बहने लगा ।वो फिर गुस्से से अपनी सास पर झपटी लेकिन उसकी सास ने उसे दोनो हाथो से उठा लिया और फर्श पर पटल दिया। पुष्पा जोर से चीख पड़ी।अपनी सास का इतना बिकराल रूप उसने कभी नही देखा था।वो डर से सिहर उठी।आखिर एक बूढ़ी औरत में इतनी ताकत कहा से आ सकती है ।
वो कमरे से बाहर भागना चाही लेकिन उसकी सास ने उसका बाल पकड़कर बिस्तर पर पटक दिया और बाहर निकल कर दरवाजा बंद कर दिया।वो लपक कर रसोई घर में गई और पांच मिनट में सबके लिए ताजा ताजा खाना बना दी।फिर रोते हुए बच्चो को बड़े प्यार से खाना खिलाई ।बच्चे बड़े खुश हुए। दस बजे रात में दिगंबर घर आया ।उसने पुष्पा के बारे में पूछा। उसकी मां ने बताया अपने कमरे में होगी।
बच्चो ने कहा पापा दूसरी मां ने खाना नही बनाया था।दादी मां ने बनाया।उसे बड़ा गुस्सा आया अपनी पत्नी पर ।वो लपक कर अपने कमरे में गया। बाहर दे दरवाजा बंद देख कर उसे बड़ा ताज्जुब हुआ। दरवाजा खोलकर जैसे ही वो अंदर गया पुष्पा चीखते चिल्लाते उससे आकर लिपट गई और रो रो कर अपनी सास द्वारा पिटाई करने और टीवी तोड़ने के बारे में बताया।
वो फिर गुस्से में अपनी पत्नी का हाथ पकड़ कर खींचता हुआ अपनी मां के पास गया।
मां तुमने पुष्पा का क्या हाल किया है देखो।उसकी मां की आंखे गुस्सा से लाल लाल हो उठी थी उसने दो थप्पड़ उसके गाल पर दे मारा और गुर्राते हुए बोली पहले इससे पूछ की बच्चो और अपने सास ससुर के साथ रोज ये कैसा व्यवहार करती हैं।
दिगंबर ने अपनी मां का ऐसा भयावह रूप कभी नही देखा था। उसने आजतक उसे इस तरह कभी थप्पड़ नही मारा था ।वो अंदर तक सिहर गया। पुष्पा तो थर थर कांप रही थी।उसके जुबान से बोली नहीं निकल रही थी।
लेकिन अपनी सास की बात को झुठला दी। सास ने उसे खा जाने वाली नजरो से देखा। वो डर कर वहा से भाग खड़ी हुई।
उसकी मां ने कहा जा हाथ पैर धोकर आ मैं खाना लगा देती हूं।
दिगंबर बिना कुछ कहे तैयार होकर खाने की मेज के पास कुर्सी पर बैठ गया। खाना खाते समय उसे अपनी पत्नी गोमती की याद आ गई।इतना स्वादिष्ट खाना वही बनाती थी।लेकिन अपनी मां के डर से कुछ बोला नहीं।
चुपचाप खाकर अपने बिस्तर पर आकर लेट गया।दिन भर थके होने के कारण उसे नींद आ गई।
करीब आधी रात को अचानक कमरे का दरवाजा अपने आप खुल गया।
अपने पति के साथ सोती हुई पुष्पा को किसी ने उठाकर जमीन पर रख दिया ।अब उसकी जगह पर तुरंत उसकी छोटी बेटी सो रही थी।
फर्श पर आते ही पुष्पा जी नींद टूट गई और नाइट बल्ब की रोशनी में उसने एक औरत को देखा जिसके काले काले लंबे बाल बिखरे हुए थे।आंखे लाल लाल थी ।वो उसे ही घूर रही थी।
वो काफी भयभीत हो गई।
तेरी इतनी हिम्नत की तु मेरी सास ससुर और बच्चो को तकलीफ दे औरr मेरे बच्चो पर हाथ उठाए।मैं तुझे कच्चा चबा जाऊंगी दुस्ट औरत ।
मैं तुझे पति सुख कभी भोगने नही दूंगी।जबतक तू सुधर नहीं जाती।
तभी पुष्पा जोर से चीख पड़ी।दिगंबर चौंक कर उठ गया । पुष्पा उसकी तरफ़ लपकी और जी हुआ सब बताया।तभी उसकी नज़र अपनी छोटी बेटी पर पड़ी।इसको कौन यहां लाया।
पुष्पा ने कहा मुझे नहीं पता।
दिगंबर बोला ठीक है इसे यही सोने दो तुम दूसरी तरफ आकर सो जाओ।
जैसे ही पुष्पा बिस्तर पर चढ़ी वो चीख मारकर दूर जा गिरी।
दिगंबर आश्चर्य से उसे देखता रह गया।r
अब दोनो रात घर नही सोए। सुबह उसने अपने माता पिता को सारा हाल बताया।। बेटा मुझे लगता है हमारी बहु गोमती की आत्मा अपने बच्चो और अपने सास ससुर का दुख देखकर लौट आई है मगर तुम्हे कुछ दिखाई नही दे रहा है।तुम अपनी पत्नी को सुधारो वरना बहुत बड़ा अनर्थ हो जायेगा इस घर में ।
तुम जल्दी किसी गुणी को बुलाकर उसकी आत्मा को शान्ती दिलवाओ और अपनी पत्नी को रास्ते पर लाओ।
गुणी को लेकर आया दिगंबर।उसने बताया तुम्हारी पत्नी की आत्मा ही है इस घर में । वो बहुत गुस्से में है।अगर उसका गुस्सा शांत नही किया तो वो बडा अनर्थ कर देगी।तुम्हारी दूसरी पत्नी की जान भी ले सकती है।
वो तुम पर भी नाराज है ।तुम अपने बच्चो और अपने माता पिता की उपेक्षा कर रहे हों।
दिगंबर ने अपनी पत्नी पुष्पा को कहा तुम पर मैने कितना भरोसा किया और तुमने मुझे धोखा दिया।मेरे पीठ पीछे मेरे बच्चो और माता पिता को तकलीफ दिया। अब यदि तुम्हें इस घर में रहना है तो मेरे बच्चो को अपना बच्चा और माता पिता को अपना माता पिता समझकर उनकी सेवा सत्कार करो और इस घर अपना घर समझ कर संभालो अन्यथा तुम मेरा घर छोड़कर जा सकती हो।
पुष्पा उसका पैर पकड़कर रोने लगी।मुझे घर से मत निकालिए आइंदा ऐसी गकती नही करूंगी।उसने माफी मांगते हुए कहा।
मुझसे नही मेरे माता पिता,बच्चो और मेरी पहली पत्नी की आत्मा से माफी मांगो।
पुष्पा ने वैसा ही किया।दिगंबर ने गुणी के कहे अनुसार पूरे विधि विधान के साथ अपनी पत्नी की आत्मा की शांति किया।उसके बाद घर में सब ठीक ठाक हो गया।
पुष्पा काफी बदल चुकी थी।
लेखक - श्याम कुंवर भारती
बोकारो, झारखंड
Mohammed urooj khan
11-Nov-2023 11:28 AM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
Reply